किसानों के खाते में पहुंचेगा खाद-बीज की छूट का पैसा, जानें क्या है सरकार का प्लान |

कृषि को सरल बनाने के लिए सरकार का बड़ा प्लान, सब्सिडी डीबीटी के माध्यम से केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि सरकार खेती को आसान बनाने के लिए नीतिगत बदलावों पर विचार कर रही है। उन्होंने बताया कि भविष्य में उर्वरक, बीज और कृषि उपकरणों के लिए दी जाने वाली सब्सिडी को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से देने का प्लान तैयार किया जा रहा है। इस कदम से किसानों को लाभ सीधे उनके खाते में पहुंचेगा, जिससे पारदर्शिता और प्रक्रिया की गति में सुधार होगा। इस पहल का उद्देश्य किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करना और खेती को और अधिक सुलभ बनाना है। 

सरकार उर्वरक सब्सिडी पर खर्च करती है 2 लाख करोड़ रुपये, मंत्री का बयान

कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि सरकार उर्वरक सब्सिडी पर करीब 2,00,000 करोड़ रुपये तक खर्च करती है। उन्होंने यह भी कहा कि यूरिया की एक बोरी किसानों को 265 रुपये की दर पर मिलती है, जबकि इसकी वास्तविक कीमत 2,400 रुपये है। सरकार द्वारा दी जाने वाली इस सब्सिडी का उद्देश्य किसानों को उर्वरकों की कीमतों में बढ़ोतरी से बचाना है, ताकि उनकी कृषि लागत नियंत्रित रहे। हालांकि, यह सब्सिडी सीधे उर्वरक कंपनियों को जाती है, जिससे किसानों को राहत मिलती है। सरकार इस सब्सिडी को प्रभावी तरीके से जारी रखे हुए है, ताकि किसानों को आर्थिक बोझ से बचाया जा सके और कृषि उत्पादन में निरंतर वृद्धि हो। इस कदम से किसानों को उर्वरक की लागत में राहत मिलती है, जिससे उनकी कृषि प्रक्रिया आसान होती है।

उर्वरक सब्सिडी और कृषि उपज परिवहन लागत पर सरकार का ध्यान

कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि उर्वरक का इस्तेमाल न केवल खेती में, बल्कि अन्य कार्यों में भी किया जाता है। अगर एक विश्वसनीय प्रणाली हो, तो उर्वरक सब्सिडी को किसानों के सीधे खातों में डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से दिया जा सकता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की लागत लगभग 60,000 करोड़ रुपये है, और अगर उर्वरक सब्सिडी भी डीबीटी के माध्यम से दी जाती है, तो इससे बैंक बही-खाता बढ़ेगा और रोजगार में भी इज़ाफा होगा।

मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार कृषि उपज की मंडी तक पहुंचने के दौरान आने वाली परिवहन लागत को वहन करने पर विचार कर रही है, ताकि किसान अपने उत्पादों को देशभर में कहीं भी बेच सकें। उनका कहना था कि कृषि उपज का दाम मंडी में कम होता है, लेकिन जब यह उपभोक्ताओं तक पहुंचती है, तो कीमत बहुत बढ़ जाती है। सरकार इस अंतर को कम करने का प्रयास कर रही है और अगर केंद्र और राज्य सरकारें परिवहन का खर्च वहन करें, तो इसे संभव बनाया जा सकता है।

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