बंपर कमाई का मौका! सब्जियों की खेती पर 75% सब्सिडी दे रही सरकार, जानें कैसे उठाएं योजना का फायदा |

बिहार सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए ‘सब्जी विकास योजना’ (Sabji Vikas Yojana) की शुरुआत की है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में सब्जी की खेती को बढ़ावा देना और किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। इसके तहत राज्य सरकार किसानों को सब्जियों के बीज पर 75% की सब्सिडी प्रदान करेगी, जिससे किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज सस्ते दरों पर मिल सकेंगे। इसके अलावा, सब्जी उत्पादन के लिए आवश्यक प्रशिक्षण, उन्नत तकनीकी जानकारी और अन्य संसाधन भी उपलब्ध कराए जाएंगे। इस योजना से न केवल बिहार के किसानों की आय में वृद्धि होने की संभावना है, बल्कि राज्य में सब्जियों का उत्पादन भी बढ़ेगा, जिससे खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। सब्जी की खेती को बढ़ावा देने के इस कदम से बिहार कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है।

बिहार सरकार की ‘सब्जी विकास योजना’ के तहत किसानों को बैगन (गरमा), तरबूज (गरमा), खरबूज (गरमा), कद्दू (गरमा), नेनुआ (गरमा), करेला (गरमा), भिंडी (गरमा) और मिर्च (गरमा) जैसे प्रमुख सब्जी बीजों पर 75% तक की सब्सिडी दी जाएगी। इन बीजों की इकाई लागत पर किसानों को सहायतानुदान मिलेगा, जिससे उन्हें उन्नत और उच्च गुणवत्ता वाले हाइब्रिड किस्म के बीज सस्ते दरों पर प्राप्त होंगे। यह योजना विशेष रूप से उन किसानों के लिए फायदेमंद है, जो गर्मी के मौसम में सब्जियों की खेती करते हैं। योजना के तहत किसान केवल एक उप-अवयव में ही निर्धारित सीमा के भीतर लाभ उठा सकते हैं। इसका उद्देश्य किसानों को सब्जी उत्पादन में सहायता प्रदान करना और उनके आर्थिक स्तर को सुधारना है। इस योजना से राज्य में सब्जी उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, जो खाद्य सुरक्षा और किसानों की आय में वृद्धि का कारण बनेगा।’सब्जी विकास योजना’ के तहत, किसानों को सब्जी के बिचड़े पर न्यूनतम 1000 और अधिकतम 10,000 रुपये तक सहायतानुदान मिलेगा। 

इसके अलावा, जिन किसानों को सब्जी का बीज मिलेगा, उन्हें न्यूनतम 0.25 एकड़ और अधिकतम 2.5 एकड़ तक के बीज पर सहायतानुदान मिलेगा। इस पहल से किसानों को सस्ती दरों पर उच्च गुणवत्ता वाले बीज और बिचड़े मिलेंगे, जिससे उनकी खेती में सुधार और आय में वृद्धि होने की संभावना है।

‘सब्जी विकास योजना’ का लाभ लेने के लिए इच्छुक किसानों को भूमि स्वामित्व का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। इसके तहत, किसान भूमि स्वामित्व प्रमाण-पत्र, दो वर्ष पूर्व की अपडेटेड राजस्व रसीद, ऑनलाइन अपडेटेड रसीद, वंशावली या एकरारनामा (विहित प्रपत्र) में से कोई एक दस्तावेज़ उपस्थापित कर सकते हैं। यदि भूमि-स्वामित्व या राजस्व रसीद में आवेदक का नाम स्पष्ट नहीं है, तो वंशावली भी लगानी होगी। इसके अतिरिक्त, गैर-रैयत कृषक भी एकरारनामा के आधार पर इस योजना का लाभ ले सकते हैं। यह व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि केवल वास्तविक और योग्य किसान ही इस योजना का लाभ उठा सकें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *