जीएसटी काउंसिल का ऐतिहासिक कदम
जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक ने भारत के कर ढांचे में एक बड़ा बदलाव लाते हुए ऐतिहासिक सुधार किए हैं। इन सुधारों के तहत ट्रैक्टर, खाद और डेयरी उत्पादों पर जीएसटी दरों में कटौती की गई है, जिससे किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सीधा लाभ मिलेगा। 22 सितंबर 2025 से लागू होने वाले ये बदलाव लागत को कम करेंगे, सस्ती उपलब्धता बढ़ाएंगे और कृषि व उससे जुड़ी इंडस्ट्रीज में विकास को गति देंगे।
डेयरी उत्पाद होंगे सस्ते
घरेलू उपभोक्ताओं और डेयरी किसानों के लिए यह बड़ा कदम है। अब यूएचटी दूध और पनीर पर कोई टैक्स नहीं लगेगा, जबकि मक्खन, घी, कंडेंस्ड मिल्क और चीज़ पर जीएसटी 12% से घटाकर केवल 5% कर दिया गया है। यह कदम उपभोक्ताओं का बोझ कम करेगा और डेयरी कोऑपरेटिव्स तथा छोटे किसानों को अपने उत्पादों की पहुंच बढ़ाने का अवसर देगा। इससे दूध और उससे बने उत्पाद ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में सस्ते और आसानी से उपलब्ध रहेंगे।
कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा
खेती में ट्रैक्टर और कृषि उपकरण सबसे अहम साधन हैं। नई जीएसटी दरों से किसानों को बड़ी राहत मिलेगी। अब ट्रैक्टर, थ्रेशर, ड्रिप इरिगेशन सिस्टम, कम्पोस्टर और इसी तरह के उपकरणों पर 12% की जगह केवल 5% जीएसटी लगेगा। ट्रैक्टर के टायर, पंप और गियरबॉक्स जैसे पुर्जों पर भी टैक्स 18% से घटाकर 5% कर दिया गया है। यह छोटे और सीमांत किसानों के लिए मशीनीकरण को किफायती बनाएगा, जिससे श्रम पर निर्भरता घटेगी और खेती की दक्षता बढ़ेगी।
खाद और बायो-पेस्टीसाइड होंगे सस्ते
महत्वपूर्ण खाद इनपुट्स जैसे सल्फ्यूरिक एसिड, नाइट्रिक एसिड और अमोनिया पर जीएसटी 18% से घटाकर 5% कर दिया गया है। इसी तरह कई बायो-पेस्टीसाइड और पौधों के सूक्ष्म पोषक तत्वों को भी 5% स्लैब में लाया गया है। इससे किसानों की लागत में बड़ी कमी आएगी और वे मिट्टी की सेहत सुधारने, टिकाऊ तरीकों को अपनाने और फसल उत्पादन बढ़ाने में सक्षम होंगे।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा
ये सुधार केवल कर कटौती भर नहीं हैं, बल्कि ग्रामीण भारत में सीधा निवेश हैं। डेयरी उत्पाद सस्ते होने, ट्रैक्टर और उपकरण किफायती होने और इनपुट कॉस्ट घटने से किसानों की आमदनी मजबूत होगी। इससे गांवों में खपत बढ़ेगी, एफपीओ और छोटे एग्री-बिज़नेस को बढ़ावा मिलेगा और पर्यावरण अनुकूल खेती को प्रोत्साहन मिलेगा। इसका सकारात्मक असर पूरे ग्रामीण आपूर्ति श्रृंखला पर पड़ेगा और लंबी अवधि में विकास को रफ्तार मिलेगी।
बाज़ार और राजनीतिक प्रतिक्रिया
इन सुधारों का बाज़ार और राज्यों ने स्वागत किया है। डेयरी और कृषि से जुड़ी कंपनियों के शेयरों में तेज़ी आई, जिसमें पराग मिल्क फूड्स और डोडला डेयरी जैसी कंपनियों के शेयर में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई। राजनीतिक तौर पर भी इस फैसले को सराहा गया है। ओडिशा के मुख्यमंत्री समेत कई नेताओं ने किसानों का बोझ कम करने और ग्रामीण परिवारों के लिए ज़रूरी सामान सस्ता करने के लिए इस निर्णय की तारीफ की।
निष्कर्ष
जीएसटी काउंसिल के ये ऐतिहासिक सुधार ऐसे समय में आए हैं जब त्योहारों का मौसम नज़दीक है। टैक्स ढांचे को सरल बनाने और कृषि व डेयरी उत्पादों पर दरें घटाने का यह कदम ग्रामीण भारत को मजबूत बनाने की दिशा में निर्णायक है। इससे खेती की लागत कम होगी, पोषण से जुड़े उत्पाद अधिक सुलभ होंगे और ग्रामीण मांग को बढ़ावा मिलेगा—जो समावेशी और टिकाऊ विकास की राह तैयार करेगा।