झारखंड की मिट्टी में मेहनत करने वाली महिला किसान आज भी कई चुनौतियों से जूझ रही हैं। जलवायु परिवर्तन, फसल का जल्दी खराब होना, और मंडी तक पहुंचने में समय लगने जैसी समस्याएं उनकी आय को लगातार प्रभावित कर रही हैं। खासकर तब जब वे सब्जियाँ या फल उगाती हैं, जो जल्दी खराब हो जाते हैं। इन समस्याओं का एक क्रांतिकारी समाधान सामने आया है – मोबाइल कूलिंग।
क्या है मोबाइल कूलिंग ?
मोबाइल कूलिंग एक ऐसा चलित शीतकरण (कूलिंग) सिस्टम है जिसे ट्रैक्टर, रिक्शा या छोटे वाहनों में लगाया जा सकता है और खेत से सीधे फसल को सुरक्षित ठंडक में बाजार तक ले जाया जा सकता है। यह तकनीक विशेष रूप से ग्रामीण और दूर-दराज़ इलाकों के लिए तैयार की गई है, जहाँ स्थायी कोल्ड स्टोरेज की सुविधा नहीं होती।
झारखंड में इस तरह की पहल को महिला किसानों ने खुले दिल से अपनाया है। मोबाइल कूलिंग की मदद से अब वे अपनी उपज को लंबे समय तक सुरक्षित रख पा रही हैं, जिससे फसल की बर्बादी कम हो रही है और दाम बेहतर मिल रहे हैं।
मोबाइल कूलिंग कैसे कर रही है बदलाव ?
- फसल की गुणवत्ता बनी रहती है ।
महिला किसान जो सब्जियाँ जैसे टमाटर, फूलगोभी, भिंडी या फल जैसे आम, अमरूद, पपीता उगाती हैं, वे पहले फसल के जल्दी खराब हो जाने से परेशान रहती थीं। लेकिन मोबाइल कूलिंग से अब ये उत्पाद ठंडे तापमान में सुरक्षित रहते हैं। - बाज़ार तक समय पर पहुँच ।
मोबाइल कूलिंग यूनिट्स के ज़रिए अब महिलाएं अपनी फसल को आसपास के बाज़ारों में ताज़ा अवस्था में ले जा पा रही हैं। इससे ग्राहक भी खुश रहते हैं और किसान को अच्छी कीमत मिलती है। - आय में वृद्धि ।
जिन महिला किसानों ने मोबाइल कूलिंग का इस्तेमाल शुरू किया है, उनकी आय में 20% से लेकर 40% तक की बढ़ोतरी देखी गई है। क्योंकि अब उन्हें खराब फसल फेंकनी नहीं पड़ती और वे बेहतर दाम पा रही हैं।
झारखंड में मोबाइल कूलिंग की पहल।
झारखंड सरकार और कई सामाजिक संगठनों ने मिलकर इस तकनीक को महिला किसानों तक पहुँचाया है। विशेष रूप से रांची, गुमला, खूंटी, लोहरदगा जैसे जिलों में यह पहल तेजी से बढ़ रही है।
महिलाओं के स्वयं सहायता समूह (Self Help Groups – SHGs) को प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि वे खुद मोबाइल कूलिंग यूनिट्स को चला सकें, उसकी देखभाल कर सकें और एक सामूहिक मॉडल में मुनाफा कमा सकें। इससे न केवल खेती बेहतर हो रही है बल्कि ग्रामीण महिलाओं की नेतृत्व क्षमता भी उभर कर सामने आ रही है।
मोबाइल कूलिंग का उपयोग कैसे करें ?
मोबाइल कूलिंग यूनिट्स को संचालित करने के लिए सोलर एनर्जी, बैटरी या पेट्रोल-डीज़ल जैसे विकल्प मौजूद हैं। इन्हें खेत के पास खड़ी गाड़ी में लगाया जा सकता है और फसल को सीधे वहीं से ठंडा करके ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है।
इस तकनीक के उपयोग के लिए विशेष तकनीकी ज्ञान की ज़रूरत नहीं है। एक बार प्रशिक्षण मिलने के बाद कोई भी महिला इसे आसानी से चला सकती है।
मोबाइल कूलिंग से महिला सशक्तिकरण।
यह तकनीक केवल खेती को लाभ नहीं पहुँचा रही, बल्कि महिला सशक्तिकरण का भी सशक्त माध्यम बन रही है। महिलाएं अब फसल के नुकसान से डरती नहीं, बल्कि स्मार्ट तरीकों से बाज़ार में प्रतिस्पर्धा कर रही हैं। मोबाइल कूलिंग उन्हें आत्मनिर्भर बना रहा है, आर्थिक स्वतंत्रता दे रहा है और एक नई पहचान दिला रहा है।

