सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। इसके लिए उसने खेती के बोझ को कम करने और उत्पादकता बढ़ाने के लिए कई योजनाएं और कार्यक्रम शुरू किए हैं। हाल ही में बिहार के मिथिला मखाने को जीआई टैग मिला है, जिसके बाद अब बिहार कृषि एवं बागवानी विभाग किसानों को मखाने उगाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। इसके लिए बिहार सरकार किसानों को राज्य में मखाने की खेती बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन दे रही है। मखाना उगाने वालों को 72,750 रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। अनुदानित भूमि का लाभ राज्य के 11 जिलों कटिहार, पूर्णिया, मधुबनी, किशनगंज, सुपौल, अररिया, मधेपुरा, सहरसा, पश्चिमी चंपारण, दरभंगा और सीतामढ़ी के किसानों को मिलेगा।
मखाने की उन्नत किस्म के उत्पादन के लिए मिलेगी विशेष अनुमति:
उच्च गुणवत्ता वाले बीजों के माध्यम से मखाना की उत्पादकता बढ़ाने के लिए बिहार में मखाना विकास योजना लागू की गई है। राज्य सरकार के अनुसार, राज्य में मखाना की उन्नत किस्म के उत्पादन पर 97,000 रुपये प्रति हेक्टेयर लागत आती है। इस पर 75 प्रतिशत अनुदान किसानों को दिया जा रहा है। राज्य के उक्त 8 जिलों के किसान उन्नत मखाना बीज के लिए आवेदन कर सकते हैं। पहले मखाना का उत्पादन 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता था, लेकिन उन्नत किस्मों के साथ इसका उत्पादन बढ़कर 28 क्विंटल/हेक्टेयर हो गया है। बिहार में स्वर्ण वैदेही और सबौर मखाना-वन जैसी उच्च उपज देने वाली किस्मों के कारण इसकी उत्पादकता 16 टन प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 28 टन प्रति हेक्टेयर हो गई है।
बिहार में मखाने की खेती की चुनौतियाँ :
मखाने की खेती की गारंटी के बावजूद, कुछ किसान आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं। पूर्णिया जिले के बनमनखी थाना क्षेत्र के पिपरा पंचायत के बिशनपुर बहादुर निवासी प्रखर नारायण यादव ने तीन साल मखाना की खेती में लगाए, लेकिन अब वे भारी कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं। अपनी परेशानी दूर करने के लिए उन्होंने इस सीजन में मखाना की खेती को छोटा करने का फैसला किया है, जिससे उनकी फसल का उपयोग 10 बीघा से घटकर तीन बीघा रह गया है।
खेती से जुडी ऐसी अधिक जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट पे विजिट करे खेती की बात |