राष्ट्र की कृषि समीक्षा के अंतर्गत
जैसे-जैसे खरीफ का मौसम आगे बढ़ रहा है, केंद्रीय कृषि मंत्रालय देश के खेतों की नब्ज पर कड़ी नजर रख रहा है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली में एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें पूरे भारत की कृषि स्थिति की समीक्षा की गई। चर्चाओं में उत्साहजनक खबरें सामने आईं: खरीफ फसल की बुआई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है, आलू, प्याज और टमाटर जैसी बागवानी फसलों का उत्पादन स्थिर है और वर्षा के बाद जलाशयों का जलस्तर भी भर रहा है।
पंजाब की बाढ़ पर फोकस
हालांकि देशभर की तस्वीर आशाजनक रही, लेकिन पंजाब की स्थिति चिंता का विषय बनी रही। हाल की बाढ़ ने खेतों को डुबो दिया और फसलों को नुकसान पहुँचाया। हजारों किसान अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। चौहान ने कहा कि इस कठिन समय में केंद्र सरकार किसानों के साथ मजबूती से खड़ी है और “चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है।” उन्होंने आश्वासन दिया कि किसानों को तात्कालिक राहत और दीर्घकालिक सहयोग प्रदान किया जाएगा।
जमीनी कार्रवाई के प्रति प्रतिबद्धता
मंत्री ने कहा कि वे स्वयं पंजाब के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जाएंगे और किसानों से मिलकर उनकी परेशानियों को समझेंगे ताकि राहत कार्यों का प्रभावी प्रबंधन किया जा सके। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार केवल दिल्ली से नीतिगत घोषणाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रभावित किसानों के खेतों और घरों तक भी सरकार की मौजूदगी है।
एकीकृत कृषि मॉडल को बढ़ावा
समीक्षा बैठक का एक अहम निष्कर्ष चौहान का एकीकृत कृषि पद्धतियों पर जोर देना रहा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि खाद्यान्न फसलों को बागवानी के साथ जोड़ने वाले मॉडल को बढ़ावा दिया जाए, जिससे किसानों को अपनी आय में विविधता लाने और बदलते मौसम के प्रभावों से बचने में मदद मिले। इन टिकाऊ तरीकों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए अभियान भी चलाए जाएंगे, ताकि किसान भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार हो सकें।
चुनौतियों के बीच उम्मीद का निर्माण
पंजाब की कृषि भले ही बाढ़ से प्रभावित हुई हो, लेकिन समीक्षा बैठक ने लचीलापन, पुनर्निर्माण और सुधार की भावना को दर्शाया। खरीफ बुआई के आँकड़े बढ़ रहे हैं, जलाशयों का स्तर सुधर रहा है और सरकार नवोन्मेषी कृषि मॉडल को प्रोत्साहित कर रही है। सरकार ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि किसान इन कठिनाइयों का सामना अकेले नहीं कर रहे। तात्कालिक राहत उपायों और प्रगतिशील रणनीतियों को मिलाकर सरकार इस संकट को एक अवसर में बदलना चाहती है, ताकि एक मजबूत और अधिक लचीली कृषि अर्थव्यवस्था का निर्माण किया जा सके।