सरकार ने MSP

खुशखबरी! सरकार ने MSP पर मूंग और सोयाबीन की खरीद की डेडलाइन बढ़ाई, अब इस तारीख तक फसल बेच सकेंगे किसान |

राजस्थान के किसानों के लिए यह एक महत्वपूर्ण खबर है। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के प्रयासों के परिणामस्वरूप, राज्य सरकार ने 2024-25 खरीफ सीजन में मूंग और सोयाबीन की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद की समयसीमा को 4 फरवरी तक बढ़ा दिया है। यह निर्णय किसानों को अतिरिक्त समय देने के लिए लिया गया है ताकि वे अपनी फसलें अच्छे दामों पर बेच सकें। खासकर मूंग के समर्थन मूल्य पर विक्रय में आने वाली समस्याओं को देखते हुए यह कदम उठाया गया है।

सहकारिता राज्य मंत्री गौतम कुमार दक ने इस फैसले की जानकारी दी, और साथ ही बताया कि मुख्यमंत्री ने इस मामले को लेकर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय से भी संपर्क किया था, ताकि किसानों को और राहत मिल सके। इस फैसले से किसानों को अपने उत्पादों की बिक्री के लिए अधिक अवसर मिलेगा, और उन्हें MSP पर बेचान में आ रही समस्याओं से राहत मिलेगी।

राजस्थान सरकार का यह कदम किसानों के लिए महत्वपूर्ण राहत का कारण बन सकता है, खासकर उन किसानों के लिए जिन्होंने अपनी मूंग और सोयाबीन की फसलें MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर बेचने के लिए पहले ही पंजीकरण करवाया था।

MSP पर पंजीकरण और तुलाई प्रक्रिया:

  • पंजीकरण: किसानों को अपनी फसल को MSP पर बेचने के लिए पहले पंजीकरण करवाना पड़ता है। यह एक आधिकारिक प्रक्रिया है, जिसके तहत किसान अपनी उपज के विवरण के साथ पंजीकरण करते हैं। यह पंजीकरण सरकार को यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि केवल वही किसान, जो उत्पादन की गुणवत्ता मानकों को पूरा करते हैं, MSP के तहत अपने उत्पाद को बेच सकते हैं।
  • तुलाई केंद्र: तुलाई केंद्र वे स्थान होते हैं जहाँ किसानों की फसल को तौल कर MSP पर खरीदी जाती है। तुलाई के दौरान फसल का वजन लिया जाता है और उसी के अनुसार भुगतान किया जाता है।

कृषि मंत्री गौतम कुमार दक के अनुसार, किसानों को अब 4 फरवरी तक समय मिलेगा अपनी मूंग और सोयाबीन की तुलाई करवाने के लिए, जिससे वे अपनी उपज MSP पर बेच सकेंगे। यह समयसीमा बढ़ाए जाने से किसानों को अपनी फसल को बेचने के लिए और समय मिलेगा, खासकर जब मौसम की परिस्थितियों या अन्य कारणों से वे पहले ही समय पर नहीं आ सके।

मूंग और सोयाबीन की खरीद की स्थिति:

  • मूंग: अब तक कुल 86,488 किसानों ने मूंग के लिए पंजीकरण करवाया था। इनमें से 70,619 किसानों से 1.42 लाख मीट्रिक टन मूंग की खरीद की जा चुकी है। यह आंकड़ा यह दिखाता है कि राज्य सरकार ने अब तक कितनी बड़ी मात्रा में मूंग की खरीदी की है, और यह भी दर्शाता है कि किसानों का विश्वास MSP पर आधारित खरीद प्रणाली में बढ़ा है।

  • सोयाबीन: सोयाबीन की स्थिति भी बहुत बेहतर दिख रही है। 42,956 किसानों ने सोयाबीन के लिए पंजीकरण कराया था, और अब तक 26,328 किसानों से 68,747 मीट्रिक टन सोयाबीन की खरीद की जा चुकी है। इसका मतलब यह है कि एक बड़ी संख्या में किसानों ने सोयाबीन की आपूर्ति MSP के तहत की है और सरकार ने इसका समर्थन किया है।

समस्या और समाधान:

किसान अक्सर MSP पर अपनी उपज को बेचने के दौरान कई समस्याओं का सामना करते हैं, जैसे:

खरीद केंद्रों पर भीड़: किसानों को अपने उत्पाद को समय पर बेचने के लिए तुलाई केंद्रों पर लंबी लाइनों में खड़ा होना पड़ता है, जिससे उनका समय और संसाधन दोनों बर्बाद होते हैं।

मांग और आपूर्ति के बीच असंतुलन: कभी-कभी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है, या समर्थन मूल्य पर बिक्री में देरी हो जाती है।

इसलिए, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने केंद्रीय कृषि मंत्रालय से पत्र लिखकर इस समस्या का समाधान करने की कोशिश की और खरीद अवधि को बढ़वाने का अनुरोध किया। इस कदम से किसानों को अधिक समय मिलने से उनके लिए फसल बेचने की प्रक्रिया आसान हो जाएगी, और वे अपने उत्पाद को उचित मूल्य पर बेच सकेंगे।

कृषि और किसान कल्याण में वृद्धि:

इस कदम से राजस्थान में किसानों की आमदनी बढ़ सकती है। MSP पर खरीदी जाने वाली फसलें, किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य दिलाती हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।

राज्य सरकार का यह कदम किसानों के प्रति संवेदनशीलता और उनके कल्याण के लिए किए गए प्रयासों को दर्शाता है। यह केवल मूंग और सोयाबीन तक सीमित नहीं है, बल्कि भविष्य में अन्य कृषि उत्पादों के लिए भी MSP की व्यवस्था को और प्रभावी बनाने की दिशा में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का संकेत देता है।

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