Purple Revolution: जम्मू-कश्मीर में लैवेंडर किसान ला रहे हैं ‘बैंगनी क्रांति’
जम्मू-कश्मीर की खूबसूरती में अब एक नया रंग जुड़ रहा है – बैंगनी। ‘बैंगनी क्रांति’ के तहत लैवेंडर की खेती न केवल स्थानीय किसानों के लिए आय का नया स्रोत बन रही है, बल्कि क्षेत्र के आर्थिक और पर्यावरणीय संतुलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
बैंगनी क्रांति के मुख्य कारण
- लैवेंडर खेती की शुरुआत: जम्मू-कश्मीर में लैवेंडर की खेती हाल ही में लोकप्रिय हो रही है। भारत सरकार और CSIR-IIIM की पहल से किसानों को मुफ्त बीज, तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण मिल रहा है, जिससे वे परंपरागत खेती छोड़कर लाभदायक और स्थायी खेती की ओर प्रेरित हो रहे हैं।
- लैवेंडर के फायदे: लैवेंडर का तेल औषधीय, सुगंधित और कॉस्मेटिक उद्योगों में उपयोग होता है। यह तनाव कम करने, अनिद्रा दूर करने और त्वचा की समस्याओं के इलाज में भी कारगर है।
- पर्यावरणीय लाभ: लैवेंडर की खेती मिट्टी के क्षरण को रोकती है और जल संरक्षण में मदद करती है। इसकी खुशबू मधुमक्खियों को आकर्षित करती है, जिससे परागण में सुधार होता है और आसपास की वनस्पति में वृद्धि होती है।
- किसानों की सफलता की कहानियाँ: जम्मू-कश्मीर के किसान लैवेंडर की खेती से अपनी किस्मत बदल रहे हैं। अनंतनाग के गुलाम नबी और बडगाम की शबनम बेगम जैसे किसान अब सालाना लाखों रुपये कमा रहे हैं और आत्मनिर्भर बन रहे हैं।
- चुनौतियाँ और समाधान: लैवेंडर की खेती में जलवायु परिवर्तन, विपणन व्यवस्था का अभाव और तकनीकी ज्ञान की कमी जैसी चुनौतियाँ हैं। लेकिन सरकार और संस्थानों के प्रयासों से इन समस्याओं का समाधान किया जा रहा है।
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